Tuesday, September 15, 2009

High Blood Pressure

उच्‍च रक्‍तचाप

उच्‍च रक्‍तचाप रोग नहीं है बल्कि शरी की रक्षात्‍मक प्रणाली एवं संस्‍थान ठीक करने के लिए संकेत है। उच्‍च रक्‍तचाप आधुनिक युग की देन है जिसके फलस्‍वरूप पक्षाघात (लकवा), गुर्दे बेकार, दृष्टिदोष, अति दुर्बलता एवं हृदय रोग इत्‍यादि हो जाते हैं।

लक्ष्‍ण:- प्रात: चलते समय सिर व गर्दन के पीछे दर्द, बेचैनी, चिड़चिड़ापन, मानसिक असंतुलन, सिरदर्द, छाती में दर्द, घबराहट, क्रोध, जल्‍दी उत्‍तेजित हो जाना, चेहरे पर तनाव, पाचन संस्‍थान की खराबी, आंखों का लाल होना, हृदय की धड़कन बढ़ जाना, अनिद्रा, नाक से खून आना इत्‍यादि एवं रक्‍तचाप सामान्‍य से अधिक हो जाना।

कारण:- कब्‍ज, अपच, रक्‍त कोलेस्‍ट्रोल बढ़ जाना, धूम्रपान, अंत:स्रावी ग्रन्थियों (endocrine glands) का ठीक काम न करना, तनाव, गुर्दे की खराबी, मोटापा, गलत आहार-विहार, अम्‍लकारक खाद्य पदार्थो, नमक, चाय, काफी, सॉस, तला-भुना मसालेदार गरिष्‍ठ भोजन इत्‍यादि का अधिक सेवन तथा क्षमता से अधिक मानसिक कार्य करना, उचित व्‍यायाम एवं विश्राम का अभाव इत्‍यादि। गर्भावस्‍था में Toximia हो जाने के कारण भी उच्‍च रक्‍तचाप बढ़ जाता है।

उपचार

उपरोक्‍त कारणों को दूर करें। यथाशक्ति कुछ दिन रसाहार (खीरा रस, गाजर रस, केले के तने का रस, चुकन्‍दर का रस, बथुआ-हरा धनिया-पालक इत्‍यादि का रस, नारियल पानी, नींबू शहद का पानी, घीया का रस, गेहूं के जवारे का रस, मौसम्‍मी का रस, गाय की छाछ) प्‍याज, ककड़ी, टमाटर, संतरा, लौकी, सोयाबीन की दही फिर कुछ दिन अपक्‍वाहार (फल, सलाद, अंकुरित) बाद में एक बार फल, एक बार सलाद, चोकर समेत आटे की रोटी एवं सब्‍जी।

तुलसी के पत्‍ते काली मिर्च के साथ सेवन करें। प्रात: खाली पेट तुलसी के पत्‍ते शहद लगाकर चबायें। प्रात: एक नींबू का रस एवं एक चम्‍मच शहद पानी में मिलाकर पीना बहुत की लाभकारी है। रात भर तांबे के बर्तन में रखा पानी पियें। त्रिफला का सेवन विशेष लाभकारी है।

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